- मोबाइल लोगों की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। विडियो देखने हों, गाने सुनने हों, गेम्स खेलना हो या फिर अलार्म ही लगाना हो, इस सबके लिए मोबाइल का इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि सोने से पहले और जागने के बाद ज्यादातर लोग अपने स्मार्टफोन को यूज करते हैं। रात के अंधेरे में मोबाइल यूज करने के इस्तेमाल के नुकसान के बारे में तो आप जानते ही होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि सुबह उठकर सबसे पहले स्मार्टफोन को चेक करना भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है।
- यूके में करीब 2000 लोगों पर हुए एक सर्वे के मुताबिक, सुबह जागते ही सबसे पहले मोबाइल चेक करने पर दिन की शुरुआत ही स्ट्रेस से होती है, जो दिमाग के वर्किंग प्रोसेस पर असर डालते हुए कार्यक्षमता पर असर डालता है।
- एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब व्यक्ति जागने पर सबसे पहले मोबाइल पर मेल या नोटिफिकेशन चेक करता है तो उसका दिमाग उनसे जुड़े विचारों से ही भर जाता है, जिससे वह किसी अन्य चीज के बारे में बेहतर तरीके से नहीं सोच पाता।
- उठने के बाद एक ही चीज के बारे में सोचते रहने के कारण स्ट्रेस और ऐंग्जाइटी लेवल बढ़ जाता है। सुबह के समय वैसे ही बीपी बढ़ा हुआ होता है ऐसे में तनाव उसे और बढ़ा सकता है जो खतरनाक साबित होगा।
- सोने के बाद अगले दिन उठने पर जब व्यक्ति मेल या नोटिफिकेशन चेक करता है तो वह बीते हुए दिन की घटनाओं से संबंधित जानकारी पढ़ रहा होता है। एक्सपर्ट की मानें तो इसका असर यह होता है कि व्यक्ति के प्रेजेंट को पास्ट हाइजैक कर लेता है और नए दिन को नए तरीके से जीने की जगह वह बीते हुए दिन के मुताबिक ही उसे जीता है।
- एक सर्वे में सामने आया है कि जागने के बाद सबसे पहले मोबाइल चेक करना और पास्ट इवेंट्स को लेकर सोचने के कारण एकाग्रता में भी कमी आती है। इसका असर ड्राइविंग से लेकर ऑफिस में काम करने और पढ़ाई करने तक में दिखाई देता है।
- एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सुबह उठने पर सबसे पहले मोबाइल चेक करने की जगह म्यूजिंग सुनें या मेडिटेशन करें, इससे दिमाग को रिलैक्स शुरुआत मिलेगी जिससे उसे दिनभर के लिए तैयार होने का मौका मिलेगा और व्यक्ति हर चीज में ज्यादा बेहतर तरीके से परफॉर्म कर पाएगा।
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Sunday, September 8, 2019
सुबह उठते ही हाथ में उठा लेते हैं मोबाइल तो हो जाएं सावधान!
स्वस्थ रहने के दस उपाय
v कहीं भी बाहर से घर आने के बाद, किसी बाहरी वस्तु को हाथ लगाने के बाद, खाना बनाने से पहले, खाने से पहले, खाने के बाद और बाथरूम का उपयोग करने के बाद हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। यदि आपके घर में कोई छोटा बच्चा है तब तो यह और भी जरूरी हो जाता है। उसे हाथ लगाने से पहले अपने हाथ अच्छे से जरूर धोएं।
v घर में सफाई पर खास ध्यान दें, विशेषकर रसोई तथा शौचालयों पर। पानी को कहीं भी इकट्ठा न होने दें। सिंक, वॉश बेसिन आदि जैसी जगहों पर नियमित रूप से सफाई करें तथा फिनाइल, फ्लोर क्लीनर आदि का उपयोग करती रहें। खाने की किसी भी वस्तु को खुला न छोड़ें। कच्चे और पके हुए खाने को अलग-अलग रखें। खाना पकाने तथा खाने के लिए उपयोग में आने वाले बर्तनों, फ्रिज, ओवन आदि को भी साफ रखें। कभी भी गीले बर्तनों को रैक में नहीं रखें, न ही बिना सूखे डिब्बों आदि के ढक्कन लगाकर रखें।
v
ताजी सब्जियों-फलों का प्रयोग करें। उपयोग में आने वाले मसाले, अनाजों तथा अन्य सामग्री का भंडारण भी सही तरीके से करें तथा एक्सपायरी डेट वाली वस्तुओं पर तारीख देखने का ध्यान रखें।
v
बहुत ज्यादा तेल, मसालों से बने, बैक्ड तथा गरिष्ठ भोजन का उपयोग न करें। खाने को सही तापमान पर पकाएं और ज्यादा पकाकर सब्जियों आदि के पौष्टिक तत्व नष्ट न करें। साथ ही ओवन का प्रयोग करते समय तापमान का खास ध्यान रखें। भोज्य पदार्थों को हमेशा ढंककर रखें और ताजा भोजन खाएं।
v
खाने में सलाद, दही, दूध, दलिया, हरी सब्जियों, साबुत दाल-अनाज आदि का प्रयोग अवश्य करें। कोशिश करें कि आपकी प्लेट में 'वैरायटी ऑफ फूड' शामिल हो। खाना पकाने तथा पीने के लिए साफ पानी का उपयोग करें। सब्जियों तथा फलों को अच्छी तरह धोकर प्रयोग में लाएं।
v
खाना पकाने के लिए अनसैचुरेटेड वेजिटेबल ऑइल (जैसे सोयाबीन, सनफ्लॉवर, मक्का या ऑलिव ऑइल) के प्रयोग को प्राथमिकता दें। खाने में शकर तथा नमक दोनों की मात्रा का प्रयोग कम से कम करें। जंकफूड, सॉफ्ट ड्रिंक तथा आर्टिफिशियल शकर से बने ज्यूस आदि का उपयोग न करें। कोशिश करें कि रात का खाना आठ बजे तक हो और यह भोजन हल्का-फुल्का हो।
v अपने विश्राम करने या सोने के कमरे को साफ-सुथरा, हवादार और खुला-खुला रखें। चादरें, तकियों के गिलाफ तथा पर्दों को बदलती रहें तथा मैट्रेस या गद्दों को भी समय-समय पर धूप दिखाकर झटकारें।
v मेडिटेशन, योगा या ध्यान का प्रयोग एकाग्रता बढ़ाने तथा तनाव से दूर रहने के लिए करें।
v कोई भी एक व्यायाम रोज जरूर करें। इसके लिए रोजाना कम से कम आधा घंटा दें और व्यायाम के तरीके बदलते रहें, जैसे कभी एयरोबिक्स करें तो कभी सिर्फ तेज चलें। अगर किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पा रहे तो दफ्तर या घर की सीढ़ियां चढ़ने और तेज चलने का लक्ष्य रखें। कोशिश करें कि दफ्तर में भी आपको बहुत देर तक एक ही पोजीशन में न बैठा रहना पड़े।
v 45 की उम्र के बाद अपना रूटीन चेकअप करवाते रहें और यदि डॉक्टर आपको कोई औषधि देता है तो उसे नियमित लें। प्रकृति के करीब रहने का समय जरूर निकालें। बच्चों के साथ खेलें, अपने पालतू जानवर के साथ दौड़ें और परिवार के साथ हल्के-फुल्के मनोरंजन का भी समय निकालें।
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